Functional Hindi
The Postgraduate Department of Hindi has introduced most emerging and practical language learning programme "Functional Hindi". This language teaching course mainly aims at exposing the younger generation to the nature, usage and technology in various departments and fields. The communication skill required for government services and other companies will be taught in this course.The course mainly develops effective communication & interpersonal and other writing skills which empower the students to go for various private and public jobs like Translator, Interpreter, Announcer, Advertiser, Reporter, Receptionist, Official Language Manager, News Caster, Proof Reader etc. One can go for the higher degree programmes in Functional Hindi for teaching purposes as well.
हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रम
18 जनवरी 2017
हिंदी विभाग द्वारा छात्र-छात्राओं को व्यवहारिक हिंदी ज्ञान प्रदान करने हेतु निम्नलिखित प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं, जिनमें स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। प्रत्येक प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार प्रदान किए गए-
1. सुलेख प्रतियोगिता
2. शुद्ध वर्तनी प्रतियोगिता
3. निबंध प्रतियोगिता
19 सितंबर 2018
हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत चार प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं, जिनमें जिनमें स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। प्रत्येक प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार प्रदान किए गए-
1. सुलेख प्रतियोगिता
2. शुद्ध वर्तनी लेखन प्रतियोगिता
3. स्लोगन लेखन प्रतियोगिता
4. कार्यालयी पत्र-लेखन प्रतियोगिता
29 नवंबर 2018
‘प्रेमचंद और भारतीय समाज की समस्याएँ’ विषय पर आमंत्रित व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के प्रोफेसर सदानंद शाही तथा डी.ए.वी. कॉलेज, वाराणसी के डॉ0 समीर कुमार पाठक ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
24 सितंबर 2019
हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत निम्नलिखित प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं, जिनमें जिनमें स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। प्रत्येक प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार प्रदान किए गए-
1. वाद-विवाद प्रतियोगिता
2. प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता
3. कार्यालयी पत्र-लेखन प्रतियोगिता
4. शुद्ध वर्तनी लेखन प्रतियोगिता
17-18 फरवरी 2020
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सीपीई योजना एवं हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘बीसवीं सदी का भारतीय साहित्य और राष्ट्रीय आंदोलन’ का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़ से प्रोफेसर आरिफ़ नज़ीर, प्रोफेसर आशिक़ अली, प्रोफेसर अजय बिसारिया तथा डी.ए.वी. कॉलेज, काशी हिंदू विश्वविद्यालय से डॉ0 समीर कुमार पाठक व भारत अध्ययन केंद्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय से डॉ0 अमित पांडेय व्याख्यान के लिए पधारे। दो दिवसीय इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के विभिन्न हिस्सों के प्रतिभागियों ने अपने शोधपत्रों का वाचन किया। संगोष्ठी के शोध-पत्रों के सारांश को स्मारिका के रूप में प्रकाशित भी किया गया।
28-29 जून 2020
लॉक डाउन की अवसाद भरी परिस्थितियों को रचनात्मक बनाने के उद्देश्य से दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार ‘अमीर ख़ुसरो का साहित्यिक-सांस्कृतिक अवदान’ का आयोजन किया गया। इंस वेबिनार में प्रथम दिवस प्रोफेसर गुलाम अहमद नादिरी, अटलांटा अमेरिका, प्रोफेसर दुर्गा प्रसाद गुप्ता, जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली, प्रोफेसर विनय गुदारी, महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट मोका, मारीशस, प्रोफेसर शंभुनाथ तिवारी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़, आबीनाज अली जान, महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट मोका, मारीशस ने प्रथम दिवस अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। दूसरे दिन सुरेश चंद्र शुक्ला, ओस्लो, नार्वे, प्रोफेसर विनय गुदारी, महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट मोका, मारीशस तथा देवेंद्र कुमार गुप्ता, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़ ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। संगोष्ठी में प्रस्तुत किए गए व्याख्यानों को एक पुस्तक के रूप में सकलित भी किया गया।
04 सितंबर 2020
कोविड-19 महामारी के दौर में हमें अपनी तमाम व्यवस्थाओं पर पुनर्विचार को विवश किया है। शिक्षा व्यवस्था भी इससे अछूती नहीं रही है। आज आनलाइन और ऑफलाइन शिक्षण व्यवस्था पर विमर्श आरंभ हो गया है। इसी विचार के अंतर्गत हिंदी विभाग द्वारा ‘ऑन लाइन शिक्षा एवं कक्षा-शिक्षण का समामेलन’ विषय पर राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू-कश्मीर की एसोशिएट प्रोफेसर डॉ0 ऋतु बख़्शी तथा टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज सीतापुर के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ0 सुनील कुमार के अपने विचार व्यक्त किए।