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  • गांधी फैज-ए-आम काॅलेज में आज ‘उर्दू में तारीख़ निगारी’ (उर्दू में इतिहास लेखन) विषय पर इतिहास विभाग एवं नेशनल काउंसिल फाॅर प्रामोशन आॅफ उर्दू लैग्वेज नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

    दिनांक: 21 फरवरी 2018
    गांधी फैज-ए-आम काॅलेज में आज ‘उर्दू में तारीख़ निगारी’ (उर्दू में इतिहास लेखन) विषय पर इतिहास विभाग एवं नेशनल काउंसिल फाॅर प्रामोशन आॅफ उर्दू लैग्वेज नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार के अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष जनाब सैयद मोइनुद्दीन साहब ने मुख्य अतिथि महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ला का माल्यार्पण करके तथा स्मृति चिह्न प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया। कुलपति ने कहा कि जनता का इतिहास जनता की ही ज़ुबान में लिखा जा सकता है। उर्दू एक लंबे तक जन भाषा के पद पर प्रतिष्ठित रही है। सन 1700 के बाद का प्रामाणिक इतिहास उर्दू जाने बिना नहीं लिखा जा सकता। उर्दू वास्तव में हृदय को जोड़ने की भाषा है। उन्होंने कहा कि इतिहास का महत्वपूर्ण स्रोत जनता है। उसकी किवदंतियों और किस्से कहानियों में इतिहास मुखरित होता रहा है। इससे पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर अक़ील अहमद ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इतिहास लेखन में उर्दू भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है, जिसे बिना उर्दू सीखे नहीं जाना जा सकता।
    मुख्य वक्ता अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पधारे  प्रोफेसर शकील समदानी ने कहा कि इतिहास लेखन में निरपेक्षता आवश्यक तत्व है। पक्षपातपूर्ण दृष्टि समय की सही व्याख्या नहीं कर सकती। इतिहास जातियों के गौरव का दस्तावेज़ होती है जो मायूसी से भरे हृदयों में प्राण फूंकता है। विशिष्ट अतिथि नेशनल आर्काइव्ज़ नई दिल्ली के डिप्टी डाइरेक्टर डाॅ0 अंसारुल हक़ ने उर्दू के अध्ययन की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि यह चिंता का विषय है कि उर्दू बोल-चाल में तो है, पर लेखन में वह ग़ायब हो रही है। रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के डाइरेक्टर डाॅ0 सैयद हसन अब्बास ने रामपुर से हकीम नजमुल गनी खां के संपादन में निकलने वाले अखबारुस्सनादीद के हवाले से बताया कि इसके बगैर रुहेलखंड का प्रामाणिक इतिहास नहीं लिखा जा सकता।
    तकनीकी सत्र में डाॅ0 महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक, हरियाणा से डाॅ0 एजाज़ अहमद ने मौलवी मोहम्मद बाकर के संपादन में प्रकाशित पहले उर्दू अख़बार ‘देहली उर्दू अख़बार’ की चर्चा की, जिसमें 1857 का आंखों देखा इतिहास दर्ज है। इसके अतिरिक्त जामिया मिलिया इस्लामिया से डाॅ0 सैफुल्लाह सैफी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से डाॅ0 परवेज़ नज़ीर तथा कुमायूँ विश्वविद्यालय हलद्वानी नैनीताल से डाॅ0 सिराज मोहम्मद ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
    इससे पूर्व डाॅ0 नसीमुस्शान खां के नेतृत्व में एन0सी0सी0 के कैडेट्स ने कुलपति को गार्ड आफ आनर प्रदान किया। कार्यक्रम का आरंभ वकील अहमद द्वारा तिलावते कुरान से हुई। सैयद अम्मार हसन, तैयबा, राजीव, दानिश आदि ने दुआ पढ़ी। इस अवसर पर गणतंत्र दिवस पर परेड में सम्मिलित होकर लौटी राष्ट्रीय सेवा योजना की छात्रा काजल यादव को सम्मानित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डाॅ0 तनवीर हुसैन ने तथा कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 मंसूर अहमद ने किया।
     इस अवसर पर प्रबंध समिति के प्रबंधक मलक अब्दुल वाहिद ख़ां, अब्दुल रशीद ख़ां, वक़ार अहमद, सैयद ख़ालिद अलवी, डाॅ0 अकबर अली सिद्दीक़ी, डाॅ0 सैयद मुर्शिद हुसैन, डाॅ0 आफताब अख़्तर, वसीम मीनाई, अख़्तर शाहजहांपुरी आदि मौजूद रहे। 
    संगोष्ठी की सफलता में डाॅ0 तुफैल अहमद, डाॅ0 समन ज़हरा जै़दी, डाॅ0 मोहम्मद जमां खां का विशेष योगदान रहा। 
    (प्रो0 अकील अहमद)
    प्राचार्य
    गांधी फैज.ए.आम काॅलेज शाहजहांपुर
    Posted by GF College

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